गुरुवार, 1 जुलाई 2010

सिस्टम से परे

"हे भगवान, क्यों नहीं इस आततायी को तू उठा लेता. हमारा छोटा सा घर तुड़वा कर इसे क्या मिल गया! आह, हमें तो कहीं का ना छोड़ा."

"हाय हाय मेरी फूल सी बेटी को नोंच कर बर्बाद कर दिया. कमीने को दोजख भी नसीब ना हो."

"कुत्ता है कुत्ता, मुआवजे की रकम भी खा गया. नहीं तो बेचारा बूढ़ा उसी ट्रेन के नीचे आकर न कट मरता. ऊपरवाला मेरी सुने तो ये भी ट्रेन एक्सिडेंट में मरे."

चित्रगुप्त अपने ऑफिस में नेताजी के खिलाफ लगातार आने वाली कम्प्लेंट्स को कंप्यूटर में तेजी से फीड करते जा रहे हैं.


भारतवर्ष के इस नेता ने लोगों का जीना दूभर कर रखा है. कई वर्षों से लोग पीड़ामय शिकायतें कर रहे हैं और भगवान से गुहार लगा रहे हैं कि उसके अत्याचारों से उन्हें शीघ्रातिशीघ्र छुटकारा दिलाया जाए. दुखभरी पुकारें कैलाश तक जा पहुचीं और मृत्यु-विभाग के सर्वेसर्वा भोलेनाथ ने यमराज को आदेश दे दिया कि इस प्राणि का कच्चा-चिट्ठा निकाल कर जैसे भी हो इसे यमलोक बुला लिया जाए.


चित्रगुप्त अब नेताजी का अकाउंट विधिवत अपडेट कर चुके हैं और रिपोर्ट लेकर प्रसन्न-वदन यमराज के केबिन की ओर चल दिए हैं. यमराज उनको देखकर ही समझ गए हैं कि नेता का बैलेंसशीट नेगेटिव में है और इस बार उनका अकाउंट बंद करने में कोई अड़चन नहीं है. चित्रगुप्त रिपोर्ट प्रस्तुत करते हैं - "भगवन, नेताजी का पाप का घड़ा अब भर चुका है, कृपया आदेश दें तो मैं यमदूतों का प्रस्थान नियत कर दूं". यमराज कहते हैं - "हाँ चित्रगुप्त, इस व्यक्ति ने भारतवर्ष के सिस्टम को छलते हुए बहुत समय आनंद कर लिया है, अब यह ईश्वरीय विधानानुसार एक क्षण भी जीवित रहने का पात्र नहीं है".


सहसा यमराज का ब्लैकबेरी विघ्न-घन-घन कर उठता है, भोलेनाथ का फ़ोन है. मुदित यमराज बाल-सुलभ चहचाहट के साथ बोले - "प्रभु, मैं आपको नेताजी के विषय में ही...", किन्तु भोलेनाथ कुछ रुष्ट, कुछ निराश किन्तु उद्यत वाणी में बोल उठते हैं - "सुनो, नेताजी ने आज प्रातः ही अपने लिए सवा करोड़ महामृत्युंजय मंत्र जाप पूरे विधि-विधान से करवाया है. अतः सिस्टम के अनुसार उनकी मृत्यु अभी नहीं हो सकती."


फ़ोन कट गया है. रिपोर्ट का अस्तित्व यमराज की मुट्ठी में सिमट गया है. चित्रगुप्त अनमने से लौट चले हैं, नेताजी ने सिस्टम को एक बार फ़िर से जो छल लिया है.

1 टिप्पणी:

  1. मजा आ गया ।लिखते रहिये,सानदार प्रस्तुती के लिऐ आपका आभार


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